होली पर रंग क्यों लगाया जाता है, जानिए क्या है कारण..?
होली पर रंग क्यों लगाया जाता है –
होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन होली जलाई जाती है और इसके अगले दिन रंग और गुलाल के साथ होली खेली जाती है, जिसे धुलंडी नाम से जाना जाता है. होली पर रंग क्यों लगाया जाता है –
होली का सीधा मतलब रंग और गुलाल के संग मस्ती है इसलिए होली आने से हफ्ते दिन पहले ही लोग रंग गुलाल के साथ मौज मस्ती करने लगते हैं. रंग और गुलाल लगाते समय इस बात का किसी को ख्याल ही नहीं रहता कि कौन अपना है कौन पराया है सभी होली पर एक रंग में रंग जाते हैं.
मंदिरों में भी होली भक्ति-भाव से गुलाल और फूलों के साथ खेली जाती है. मंदिरों, देवालयों में पूरे फाल्गुन माह होली के गीत-संगीत और भजन प्रसादी के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। होली पर रंग क्यों लगाया जाता है –
लेकिन यह सोचने वाली बात है कि आखिर होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई यानी हम क्यों होली पर रंग खेलते हैं..?
तो आइये जानते हैं उन कारणों के बारे में जिससे होली पर रंगों के संग हुड़दंग चलता है-
(1) पहला कारण –
होली के बारे में सबसे प्रचलित कहानी है प्रह्लाद और होलिका की. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को ब्रह्मा जी से वरदान स्वरूप एक वस्त्र प्राप्त था जिसे ओढने के बाद आग उसे नहीं जला पाती. इस वरदान का लाभ उठाकर हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के भक्त और अपने पुत्र प्रह्लाद को मरवाना चाहा.
इसके लिए होलिका लकड़ियों के ढ़ेर पर प्रह्लाद को लेकर बैठ गई. लकड़ियों में जब आग लगाई गई तब हवा के झोंके से अग्नि से रक्षा करने वाला वस्त्र उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गया इससे प्रह्लाद जीवित बच गया और होलिका जलकर मर गई. लोगों को जब इस घटना की जानकारी मिली तो अगले दिन लोग खूब रंग गुलाल के संग आनंद उत्सव मनाए. इसके बाद से ही होली पर रंग गुलाल संग मस्ती की परंपरा शुरु हो गई.
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होली पर रंग क्यों लगाया जाता है –
(2) दूसरा कारण –
रंग – गुलाल की यह परंपरा राधा और कृष्ण के प्रेम से हुई थी। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण अपनी बचपन में अपनी माता यशोदा से अपने सांवले और राधा के गोरे होने की शिकायत किया करते थे. श्रीकृष्ण माता से कहते थे कि मां राधा बहुत ही सुंदर और गोरी है और मैं इतना काला क्यों हूं?
माता यशोदा उनकी इस बात पर हंसती थी और बाद में उन्होंने एक दिन भगवान श्रीकृष्ण को सुझाव दिया कि वह राधा को जिस रंग में देखना चाहते हैं उसी रंग को राधा के मुख पर लगा दें. भगवान श्रीकृष्ण को यह बात पसंद आ गई. वैसे भी श्रीकृष्ण काफी चंचल और नटखट स्वभाव के थे, इसलिए वह राधा को तरह-तरह के रंगों से रंगने के लिए चल दिए और श्री कृष्ण ने अपने मित्रों के साथ राधा और सभी गोपियों को जमकर रंग लगाया. होली पर रंग क्यों लगाया जाता है –
जब वह राधा और अन्य गोपियों को तरह-तरह के रंगों से रंग रहे थे, तो नटखट श्री कृष्ण की यह प्यारी शरारत सभी ब्रजवासियों को बहुत पंसद आई. माना जाता है, कि इसी दिन से होली पर रंग खेलने का प्रचलन शुरू हो गया और इसीलिए होली पर रंग-गुलाल खेलने की यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है. लगाया जाता है –
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