सोमवती अमावस्या कब है..? जानिए कथा, पूजा विधि और क्या है इस व्रत का महत्व

सोमवती अमावस्या कब है..? जानिए कथा, पूजा विधि और क्या है इस व्रत का महत्व

सोमवती अमावस्या कब है – 

हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्त्व होता है. यह हर माह में कृष्ण पक्ष के अंत में पड़ती है इसके बाद शुक्ल पक्ष का प्रारंभ होता है. इस तरह साल में कम से कम 12 अमावस्या आती है. इस बार यानी साल 2022 में कुल 13 अमावस्या पड़ेगी. जब अमावस्या की तिथि सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. सोमवती अमावस्या

आपको बता दें कि साल 2022 में कुल 13 अमावस्‍या आएगी. इसमें दो सोमवती अमावस्‍या होगी. पहली सोमवती अमावस्‍या 31 जनवरी 2022 को थी तो वहीं दूसरी सोमवती अमावस्या 30 मई 2022 को आएगी. इसके बाद इस साल कोई भी सोमवती अमावस्या नहीं पड़ेगी.

सोमवती अमावस्या

सोमवती अमावस्या सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होती है. इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के पेड़ की और तुलसी की परिक्रमा करती हैं. इस दिन व्रत पूजन और पितरों को जल तिल देने से पुण्य की भी प्राप्ति होती है.

आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या का महत्व और पूजा विधि के बारे में –

सोमवती अमावस्या का महत्व (Somvati amavasya ka mahatv) –

धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है. सोमवती अमावस्‍या के दिन जो महिलाएं व्रत रखती हैं और भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा करती हैं, उन्‍हें हमेशा सुहागवती रहने का वरदान प्राप्‍त होता है. वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्‍याएं समाप्‍त हो जाती हैं.

इसे श्राद्ध की अमावस्‍या भी कहा जाता है, क्‍योंकि इस दिन पितृ कार्य किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पितरों को जल और तिल भी अर्पित किया जाता है. अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त जल में तिल डालें और दक्षिण दिशा की ओर तर्पण करें. ऐसा करने से पितर तृप्त होते हैं. और प्रसन्न होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं.

सोमवती अमावस्या

सोमवती अमावस्या की पूजन विधि (Worship method of Somvati Amavasya) –

  • सोमवती अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगास्नान कर लें. वैसे तो इस दिन पवित्र नदियों में स्नान की परपंरा है, लेकिन अगर वहां जाना संभव नहीं है तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं.
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तांबे के लोटे में पवित्र जल लेकर सूर्य देव और तुलसी को अर्घ्य दें.
  • सूर्य व तुलसी को जल अर्पण करके, गायत्री मन्त्र का उच्चारण करें. तुलसी की 108 बार परिक्रमा करें. शिव की प्रतिमा पर जल चढ़ाएं. सोमवती अमावस्या
  • सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने का भी विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखी होता है.
  • गाय को दही, चावल खिलाएं. हो सके तो पूरा दिन मौन व्रत धारण रखें. सोमवती अमावस्या
  • पीपल के पेड़ के पास जाएँ, वहां पास में ही तुलसी भी रखें. उस पर दूध, दही, रोली, चन्दन, अक्षत, फूल, माला, हल्दी, काला तिल चढ़ाएं. सोमवती अमावस्या

सोमवती अमावस्या

  • पान, हल्दी की गांठ व धान को पान पर रखकर तुलसी को चढ़ाएं. सोमवती अमावस्या
  • पीपल के पेड़ के चारों ओर 108 बार धागा लपेटते हुए, परिक्रमा करें. इस दिन कुछ सामान के साथ भी तुलसी की परिक्रमा की जाती है, जैसे बिंदी, टॉफी, चूड़ी, मेहँदी, बिस्किट आदि. आप कुछ भी 108 समान लेकर, 108 बार पीपल और तुलसी की परिक्रमा करें, फिर उस समान को विवाहिता, कन्याओं को बाँट दें. सोमवती अमावस्या
  • पूरी, खीर, आलू की सब्जी बनाकर, पहले पितरों को अर्पण करें, फिर खुद ग्रहण करें. सोमवती अमावस्या

ये भी पढ़ें –

सोमवती अमावस्या व्रत मंत्र (Somvati Amavasya Vrat Mantra) –

॥ अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्ष दायिका ॥

॥ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू ॥

सोमवती अमावस्या

सोमवती अमावस्या व्रत कथा (Somvati amavasya vrat katha) –

सोमवती अमावस्या व्रत कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण परिवार था, उस परिवार में पति-पत्नी एवं उसकी एक पुत्री भी थी. उनकी पुत्री समय के गुजरने के साथ-साथ धीरे-धीरे बड़ी होने लगी. उस पुत्री में बढ़ती उम्र के साथ सभी स्त्रियोचित सगुणों का विकास हो रहा था. वह कन्या सुंदर, संस्कारवान एवं गुणवान थी, परंतु गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. सोमवती अमावस्या

एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारे. साधु उस कन्या के सेवाभाव से अत्यधिक प्रसन्न हुए. कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधु ने कहा कि इस कन्या के हाथ में विवाह योग्य रेखा नहीं है. तब ब्राह्मण दम्पति ने साधु से इसका उपाय पूछा, कन्या ऐसा क्या करें कि उसके हाथ में विवाह योग बन जाए. सोमवती अमावस्या

साधु महाराज ने कुछ देर विचार करने के पश्चात अपनी अंतर्दृष्टि में ध्यान करके बताया कि कुछ ही दूरी पर एक गांव में सोना नाम की एक धोबिन महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो बहुत ही आचार-विचार एवं संस्कार संपन्न तथा पति परायण है. यदि यह सुकन्या उस धोबिन की सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दे, तथा उसके बाद इस कन्या का विवाह हो जाए, तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है. सोमवती अमावस्या

सोमवती अमावस्या

साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं बाहर आती-जाती नहीं है. यह बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने का प्रस्ताव रखा. अगले दिन से ही कन्या प्रात: काल ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, साफ-सफाई एवं अन्य सारे कार्य करके अपने घर वापस आने लगी. एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि, तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता.

बहू ने कहा – माँ जी, मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद ही खत्म कर लेती हैं. मैं तो देर से उठती हूँ. यह सब जानकर दोनों सास-बहू घर की निगरानी करने लगी कि कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है. कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या मुंह ढके अंधेरे में घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है.

जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं..? तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई. सोना धोबिन पति परायण थी, अतः उसमें तेज था. वह तैयार हो गई, सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे. उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा. सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर उस कन्या की मांग में लगाया, सोना धोबिन का पति मर गया.

उसे इस बात का पता चल गया. वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर कि रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी. उस दिन सोमवती अमावस्या थी. ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया. ऐसा करते ही उसके पति के मृत शरीर में वापस जान आ गई और धोबिन का पति फिरसे जीवित हो उठा.

ये भी पढ़ें – 

खरीदारी के लिए ये भी देखिए –

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here