बेटे की परवरिश करते समय इन  5 बातों को ज़रूर सिखाएं 

बेटे की परवरिश करते समय इन  5 बातों को ज़रूर सिखाएं

बेटे की परवरिश के लिए टिप्स –

ये तो हम सभी जानते हैं की बच्चों की अच्छी तरह से  परवरिश करना कितना मुश्किल काम है. हम सभी चाहते हैं की हमारे बच्चों को अच्छे संस्कार मिल सके.

एक ज़माना था जब घर में बेटा पैदा होता था तो खुशियाँ मनाई जाती थी वहीं बेटी का जन्म हो जाए तो मातम सा छा जाता था. हालाँकि अभी हालात थोड़े बदले हैं. अब ऐसे घर परिवार बहुत कम शेष रह गए हैं.

आप में भी कुछ लोग गर्व से ये कहेंगे कि हमारे यहाँ बेटी होती हैं तो हम भी खुशियाँ मनाते हैं. चलिए मान लिया. लेकिन उसके बाद का क्या? मतलब क्या आप अपनी बेटी को भी वे सारे अधिकार देते हैं जो बेटे को देते हैं?

बेटे की परवरिश

देखिए इस बात में कोई शक नहीं कि आज का समाज एक पुरुष प्रधान समाज हैं. यहाँ आज भी महिलाओं के साथ कई प्रकार का भेदभाव किया जाता हैं. पुरुषों को कई मामलो में प्राथमिकता मिलती हैं. पुरुष प्रधान सोच के पीछे उसकी परवरिश ही जिम्मेदार होती हैं.

यदि आप समाज में महिलाओं के लिए सुधार लाना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत आपको अपने घर से ही करनी होगी. आप अपने बेटे की परवरिश और संस्कारों पर विशेष ध्यान दे. उसके दिमाग में महिलाओं और पुरुषों के भेदभाव का कचरा ना डाले.

वहीं बात अगर किशेारावस्‍था की हो तो ये मुश्‍किल थोड़ी और बढ़ जाती हैं.

तो ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी जरूरी बातें, जो आपको आपके बेटे को जरूर सिखानी चाहिए –

 

बेटे की परवरिश के लिए 5 टिप्स – 

 

बेटे की परवरिश
सिखाएं किचन का काम

(1) सबसे जरूरी बात कि किचन का काम केवल लड़कियों के लिए ही नहीं है. ये लड़कों के लिए भी सीखना उतना ही जरूरी है. इसीलिए बेटोंं को किचन की बेसिक जानकारी जरूर दें.

बेटे की परवरिश

(2) अक्सर हम सभी अपने बेटों को सिखाते हैं कि ये क्‍या लड़कियों की तरह रो रहे हो लेकिन कहते हैं न कि हम इंसान हैं भावनात्‍मक ठेस सबको लगती है.

इसीलिए ये बेहद जरूरी है कि लड़कों को अपने दिल की बातें आंसूओं के सहारे निकल जाने दें. भावनात्मक होना कोई शर्मनाक बात नहीं है.

बेटे की परवरिश

(3) जवां हो रहे बेटों को शारीरिक हिंसा से दूरी रखने के लिए भी एहितयात बरतना सिखाएं. उन्‍हें बताएं कि आखिर क्‍यों विनम्र भाव होना कितना जरूरी है.

बेटे की परवरिश करते समय ये 5 आदतों को ज़रूर सिखाएं

(4) उम्र के इस पड़ाव पर बेटों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाएं. उन्हें बतायें की कैसे वो महिलाओं के लिए आदर के लिए सूचक शब्दों का इस्तेमाल करें.

(5) बढ़ती उम्र के साथ उन्‍हें अपनी जिम्‍मेदारियों का भी अहसास कराएं. उन्‍हें बताएं कि उनकी खुद के प्रति साथ-साथ परिवार के प्रति उनकी क्‍या जिम्‍मेदारी है.

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