बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) कब से दें और कैसे दें..?

बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग कब से दें और कैसे दें..?

बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग कब से दें – 

बच्चे की परवरिश मां-बाप के लिए एक बड़ी चुनौती होती है. बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने और संतुलित दिनचर्या का पालन करने के लिए उन्हें कई बातें सिखाना जरूरी होता है. ऐसे ही पॉटी ट्रेनिंग देना भी एक सीख है. जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं, मां-बाप की जिम्‍मेदारियां भी बढ़ती चली जाती हैं.

बढ़ते बच्‍चों को कईं बातें सिखानी पड़ती हैं जैसे भूख लगने पर कैसे बताना है, सू-सू या पॉटी आने पर कैसे बताना है आदि. पॉटी ट्रेनिंग मतलब शौच का प्रशिक्षण इसमें शिशु को यह समझाना होता है कि मल या मूत्र त्याग के लिए शौचालय का इस्तेमाल किया जाता है. बच्चों को पॉटी

बच्चों को पॉटी

शिशुओं को एक जैसी दिनचर्या पसंद आती है और कोई बड़ा बदलाव उसे परेशान कर सकता है और उसके व्यवहार में परिवर्तन आ सकता है. आपको टॉयलेट ट्रेनिंग के लिए वह समय चुनना होगा, जब आप शिशु को अपना पूरा समय दे सकें और आपको कहीं यात्रा पर नहीं जाना या फिर किसी अन्य बदलाव की योजना नहीं है. बच्चों को पॉटी 

बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग कब देनी चाहिए –

बच्चे को सही समय पर पॉटी ट्रेनिंग देनी शुरू कर देना चाहिए. पॉटी ट्रेनिंग के लिए बच्चे लगभग 18 महीने से 24 महीने के बीच तैयार हो सकते हैं. यही समय होता है जब बच्चे अपनी आंत, मूत्राशय और मांस पेशियों में नियंत्रण विकसित करते हैं.

पॉटी ट्रेनिंग के लिए कब तैयार होता है बच्‍चा  (When is a child ready for potty training) – 

  • जब बच्चा आपके दिए छोटे- छोटे संकेतों को समझने लगे.
  • मल या मूत्र त्याग करने से पहले कुछ विशेष आवाज या रो कर बताएं. बच्चों को पॉटी     

बच्चों को पॉटी

  • बच्चा बैठ कर पॉटी करने लगा हो या टॉयलेट सीट पर बैठ कर पॉटी करता हो.
  • जब बच्चा अपने आप खुद से खड़ा होने में सक्षम होता है.
  • जब बच्चा ठोस आहार खाना शुरु कर दे तब पॉटी ट्रेनिंग दी जा सकती है.
  • किसी काम को अच्छे और सही से करने की तारीफ सुनना पसंद करता हो.

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बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने के फायदे (Benefits of giving potty training to a child) –

बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने का अहम फायदा तो यही है कि वह पॉटी करने के लिए एक निश्चित समय पर जाए जिससे यह उसके रूटीन का हिस्सा बन जाये. इसके अलावा भी कुछ फायदे हैं जो हमें देखने को मिल सकते हैं –

  • पॉटी ट्रेनिंग से बच्चे के माता को भागदौड़ से राहत मिल सकती है. बच्चों को पॉटी 
  • माँ को बच्चे की सफाई में कम समय लगेगा.
  • बच्चे के मां-बाप इस बात से निश्चिंत महसूस करेंगे.
  • पॉटी ट्रेनिंग बच्चे के विकास में सहायक होती है.
  • त्वचा की संवेदनशीलता और जलन कम हो सकती है.
  • स्वच्छता से जुड़े सामान जैसे डायपर आदि का खर्चा कम होगा.

  • बच्चे की सूझ – बूझ की क्षमता विकसित होने में सहायता मिलेगी.

पॉटी ट्रेनिंग के लिए क्या चाहिए  (What do you need for potty training) –

बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने के लिए कुछ चीजों की आवश्यकता होती है. यह जरूरी नहीं कि आपके पास ये सभी वस्तुएँ हों.  आप इनकी सहायता के बिना भी बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग दें सकते हैं. बच्चों को पॉटी 

ये वस्तुएं निम्न हैं –

  • बच्चों के साइज की पॉटी या सामान्य टॉयलेट सीट पर लग सकने वाली छोटी टॉयलेट सीट.
  • स्टूल
  • हैंड वाश

पॉटी ट्रेनिंग (potty training) –

बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने में आपको काफी समय लग सकता है इसलिये संयम बना कर रखें. बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग इस तरह से दे सकते हैं –

  • जब आपका बच्चा संकेत दे कि उन्हें शौचालय का उपयोग करने की आवश्यकता है, तो सतर्क रहें. अपने बच्चे को जल्दी से टॉयलेट ले जाएं. बच्चों को पॉटी 
  • बच्चे को पॉटी कराने से पहले पैंट नीचे करना सिखाएं.
  • उनके टॉयलट सीट पर सही तरीके से बैठकर, पॉटी करने तक उनके साथ में रहें.

बच्चों को पॉटी

  • उनके सामने पॉटी को टॉयलेट में फ्लश करें और फिर बाद में उन्हें देखें कि वो फ्लश करते हैं या नहीं.
  • अपने बच्चे को सिखाएं कि वह क्या गलत कर रहे हैं और ऐसा करने से उन्हें रोकें.
  • हर बार ध्यान दें कि आपका बच्चा शौच का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोए.

अपने बच्चे की हर बार तारीफ करें कि वे टॉयलेट जाते हैं, भले ही वो वहां जाकर केवल बैठे रहते हों.

कुछ जरूरी हिदायतें (Some important instructions) – 

  • जब वह एक निर्धारित समय पर पॉटी करे तब उसी समय आप उसे सीट पर बैठायें, अगर ऐसे नहीं बैठता हैं तो उसे कुछ खिलौने देकर बैठायें.

बच्चों को पॉटी

  • सामान्यता बच्चे खाना खाने के बाद या सुबह पॉटी करते हैं इसलिये इसका विशेष ध्यान रखें.
  • हमेशा याद रखें कि बच्चों पर कभी दबाव ना डालें कि वह कम उम्र में ही प्रशिक्षित हो जाए ऐसा करने पर वह और अधिक समय लेंगे.
  • अपने बच्चों को इस दौरान आजाद रहने दें ताकि वह सक्रिय रुप से अपनी भागीदारी कर सके.
  • हमेशा सिंपल, प्रेक्टिकल और सीधी भाषा का प्रयोग करें ना कि नकारात्मक भाषा का.

सबसे आखरी बात, हर कदम पर अपने बच्चे का मनोबल बढ़ाएं और पॉटी करते समय कभी भी उसे अकेला न छोड़ें. बच्चों को पॉटी

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