क्या आप जानते हैं खुश रहने के ये हैं 10 मूल मंत्र
खुश रहने के मूलमंत्र –
आजकल अधिकांश व्यक्ति अपनी जिंदगी में खुश नहीं रहते हैं. इसका सबसे अहम कारण, अपनी तुलना अन्य व्यक्ति से करना है. इस वजह से ही व्यक्ति हमेशा दुखी ही बना रहता है. वह स्वयं को किसी काबिल नहीं समझता और अधिकतर समय अकेले ही रहना पसंद करता है.
व्यक्ति का इस तरह जीवन बिताना काफी गंभीर समस्या को जन्म दे सकता है. इसके लिए व्यक्ति को स्वयं अपनी मानसिक स्थिति में बदलाव करने चाहिए जिससे वह खुश रह सके.
इस तरह की परिस्थिति में बदलाव लाने के लिए हम आपको खुश रहने के 10 मूलमंत्र बतायेंगे जिन्हें अपनाकर आप काफी हद तक स्वयं में सुधार कर पाएंगे –
(1) दूसरों की सहायता –
हमें खुशी सबसे ज्यादा तब मिलती है जब हम किसी की सहायता करते हैं. वैसे आजकल यह बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है कि वो किसी की सहायता करें. लेकिन असली खुशी हमें तभी मिलती है जब हम किसी की मदद कर के उसकी सहायता करते हैं.
खुश रहने के मूलमंत्र –
(2) परिवार को न करें नजरअंदाज –
बड़े होने पर बच्चे अक्सर अपने दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करने लगते हैं. उसके लिए परिवार की उतनी अधिक अहमियत नहीं होती जितनी कि दोस्तों की होती है. चाहे बच्चे हों, जवान हो या बुजुर्ग हर व्यक्ति को अपने परिवार के साथ वक़्त जरूर बिताना चाहिए और आपस में अपनी बातें बाँटनी चाहिए. इससे घर का माहौल अच्छा बनता है और ऐसा करने में हमें खुशी भी मिलती है. परिवार के साथ समय बिताने के लिए कहीं घूमने भी जाया जा सकता है.
(3) मिलनसार प्रवृत्ति –
खुश रहने के लिए जरूरी है कि हम अपने व्यवहार में मिठास लायें. इसके लिए हमें हमेशा सभी से प्रेम से मिलना चाहिए फिर चाहे वह अनजान व्यक्ति ही क्यूँ न हो. जब भी आप कहीं पर जाते है तथा किसी से मिलते है तो उनसे मिलते समय आपके मन में प्रेम होना चाहिए और जब भी कोई आपके घर आता है तो उसका स्वागत सत्कार प्रेम से करना चाहिए. ऐसा करने से आप के अन्दर भी ख़ुशी की भावना का जन्म होता है.
(4) स्वास्थ्य पर दें ध्यान –
जब व्यक्ति का स्वास्थ्य सही रहता है तब उसका मन भी खुश रहता है. अधिकांश बीमार व्यक्ति हमेशा नेगेटिव ही सोचता है, उसका मन किसी भी काम में नहीं लगता इससे वह हमेशा दुखी ही रहता है. जब हम अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे तभी हमारा मन भी खुश रहेगा और हम वे सभी काम भी कर पाएंगे जिनसे हमें खुशी मिलती है.
(5) खुद से करें प्यार –
खुद के लिए हमेशा समय निकालें. वे काम करें जिन्हें करने से आपको खुशी मिलती हो. हमेशा दूसरों को खुश करने में न लगे रहें. जब आप खुद से प्यार करेंगे तभी आप खुश रह पाओगे.
(6) भविष्य को ले कर चिंता न करें –
खुश रहने के लिए हमें भविष्य के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए. अक्सर इंसान भविष्य के बारे में सोच कर ही दुखी होता है. हमारी ज़िन्दगी में क्या होने वाला है ये कोई बता नहीं सकता इसलिए हमें अपने भविष्य पर ध्यान न देते हुए अपने वर्तमान को अच्छा बनाये रखना चाहिए.
(7) सकारात्मक लोगों से बात करें –
जितना हो सके सकारात्मक लोगों से ही बात करें और हमेशा उनसे संपर्क बनाएं रखें. ऐसे लोगों से बात करने पर आप हमेशा पॉजिटिव ही सोचेंगे और खुश रहेंगे. नकारात्मक लोगो से दूरियाँ ही बना कर रखें. ऐसे लोग हमेशा हर बात में कमी ही निकालते रहते है जिससे इंसान का दिमाग हमेशा गलत ही सोचता है और वह वैसा ही व्यवहार करने लगता है.
(8) समय को दें अहमियत –
समय को अहमियत देने से इंसान खुश रहता है. जो व्यक्ति समय को अहमियत नहीं देते और अपने हिसाब से रहते हैं वे इंसान हमेशा परेशान ही नज़र आते है. ऐसे इंसान अपने काम को सही समय पर नहीं करते जिससे उनके सामने हमेशा उलझने ही बनी रहती हैं. जो व्यक्ति समय को ध्यान में रख कर काम करते हैं वे अपनी लाइफ को बेहतर तरीके से जी पाते हैं. इस तरह वह हमेशा चिंता मुक्त नज़र आते हैं.
(9) परिस्थिति में ढलना सीखें –
कई बार व्यक्ति को जब अपने अनुसार कोई जगह , व्यक्ति या कोई वस्तु नहीं मिलती तो वह दुखी हो जाता है जो कि हर व्यक्ति के साथ होता ही है. ऐसे में हमें इस बारे में नहीं सोचना चाहिए क्योंकि यह जरूरी नहीं कि हम जैसा चाहते हो हमें हमेशा वही मिले. इसके लिए दो ही उपाय हैं पहला, हम परिस्थिति के अनुसार ढल जायें और दूसरा, परिस्थिति को अपने अनुसार ढाल लें. इन दोनों ही परिस्थितियों में आप खुश ही रहेंगे.
खुश रहने के मूलमंत्र –
(10) बुरे समय को स्वीकार करें –
अक्सर व्यक्ति विपरीत परिस्थिति आने पर या यूं कहें कि बुरा समय आने पर निराश हो जाता है और उसे लगता है कि अब उसकी जिंदगी में कुछ बचा ही नहीं है और यही सोच कर उसका किसी काम को करने में मन नहीं लगता. ऐसे में वह बस शांत हो कर बैठ जाता है और किसी भी दोस्त व रिश्तेदारों से भी नहीं मिलता, जो कि उसके डिप्रेशन में जाने का कारण बन जाता है.
ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए हमें जब भी बुरा महसूस हो तो ऐसे इंसान से बात करना चाहिये जिससे बात कर के आपको अच्छा महसूस हो या फिर कहीं बाहर घूमने निकल जाना चाहिए. खुश रहने का एक मूलमंत्र यह भी है कि हम जैसे खुशी को स्वीकार करते हैं ऐसे ही हमें दुख को भी स्वीकार करना चाहिए क्योंकि समय बदलता जरुर है चाहे अच्छा हो या फिर बुरा.
ये कुछ ऐसे मूलमंत्र है जिन्हें अपनाकर आप खुश रह सकते हैं. ये मूलमंत्र हर व्यक्ति जानता है लेकिन इन्हें अपनाता नहीं है जिससे वह दुखी ही रहता है. इन सभी बातों को अगर आप अपने जीवन में शामिल करेंगे तो खुश ही रहेंगे.
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