ये 7 ट्रेडिशनल साड़ी आपकी वार्डरोब में होनी ही चाहिए
ट्रेडिशनल साड़ी –
यह तो हम सब जानते ही हैं कि फैशन की दुनिया में नित नए प्रयोग होते हैं, बदलाव होते हैं और युवतियां व महिलाएं बड़े चाव से सारे बदलाव अपनाती भी हैं पर आज भी कुछ बातें फैशन की दुनिया में ऐसी हैं जो कभी नहीं बदलती.
जी हां, हम बात कर रहे हैं साड़ी की. साड़ी का नाम आते ही भारतीय नारी का पूरा व्यक्तित्व नजरों के सामने उभर आता है. साड़ी भारतीय महिलाओं का पहनावा है जिसे विदेशी महिलाएं भी शौक से पहनना पसंद करतीं हैं. ट्रेडिशनल साड़ी
साड़ी शायद विश्व की सबसे लंबी और पुराने परिधानों में से एक है. इसकी लंबाई सभी परिधानों से ज्यादा है और यह एक तरह से कहें तो आदिकाल से भारतीयता की पहचान भी है. यह लगभग 5 से 6 गज लम्बी होती है और यह ब्लाउज या चोली और पेटीकोट के साथ पहनी जाती है. वहीं महाराष्ट्र में नौ गज की साड़ी पहनने का रिवाज है.
साड़ी के इतिहास पर नजर डालें तो इसका उल्लेख वेदों में मिलता है. यजुर्वेद में सबसे पहले साड़ी शब्द का उल्लेख मिलता है. वहीं ऋग्वेद की संहिता के अनुसार यज्ञ या हवन के समय पत्नी को साड़ी पहनने का विधान है ऐसा कहा गया है. धीरे-धीरे यह भारतीय परंपरा का हिस्सा बनती गई और आज भी साड़ी भारत की अपनी पहचान है.
साड़ी के पहनने के तरीके में, फैब्रिक में भले ही बदलाव आ जाए पर साड़ी कभी फैशन से बाहर नहीं होती. हर इंडियन वीमेन के वॉर्डरोब में तरह तरह की साड़ी होती हैं. कांजीवरम साड़ी से लेकर जामदानी साड़ी, सिल्क साड़ी, बनारसी साड़ी, कलमकारी वाली साड़ी होती हैं लेकिन क्या आप इनके इतिहास के बारे में जानती हैं…?
हैंडलूम साड़ियां दिखने में जितनी सिंपल होती हैं दरअसल में उन्हें बनाने में उतने ही महीनों की मेहनत होती है. यही वजह है कि सिल्क या कांजीवरम या कोई भी हैंडलूम साड़ी जो आपको एलीगेंट लुक देती है उनकी कीमत कई लाखों में होती हैं. पटोला सिल्क साड़ी को बनाने में जिस तरह से कई महीनों का समय लगता है उसी तरह से कांथा वर्क साड़ी, कांजीवरम साड़ी भी कई दिनों, हफ्तों और महीनों में तैयार होती हैं.
तो आज हम आपको ऐसी 7 ट्रेडिशनल साड़ी के बारे में बतायेंगे जो की हर लेडीज़ की वार्डरोब में होनी ही चाहिये –
(1) बनारसी साड़ी (Banarasi saree) –
70 और 80 के दशक में बनारसी साड़ियों का क्रेज था जब लगभग सभी अभिनेत्रियों ने उन्हें परदे पर उतार दिया था. अपनी जटिल कढ़ाई और जरी के काम के लिए जानी जाने वाली, बनारसी साड़ियां महीन बुने हुए रेशम से बनी होती हैं और नाजुक ब्रोकेड के काम के कारण काफी भारी होती हैं.
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(2) बांधनी साड़ी (Bandhani saree) –
अपने जटिल काम के लिए जानी जाने वाली बांधनी साड़ियां राजस्थान और कच्छ राज्य से आती हैं. ये अपने रंगों और दिलचस्प डिज़ाईनों के लिए अधिक जानी जाती हैं. सुंदर साड़ियाँ, जो टाई और डाई तकनीक द्वारा बनाई जाती हैं, उनका नाम बंधनी शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है बाँधना.
![ट्रेडिशनल साड़ी](http://shezindagi.com/wp-content/uploads/2021/04/71k2huQApWL._AC_UL1500_.jpg)
(3) पैठणी साड़ी (Paithani saree) –
महाराष्ट्र की पैठणी साड़ियों को उनके जटिल पैलस और अलंकृत डिजाइनों के लिए जाना जाता है. अजंता और एलोरा की गुफाओं या किसी भी अन्य पारंपरिक रूपांकनों के साथ साड़ी के सुरम्य दृश्य भी महाराष्ट्र की इन पैठनी साड़ियों में देखने को मिलते हैं. ट्रेडिशनल साड़ी
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(4) कांजीवरम साड़ी (Kanjivaram saree)-
कांचीवरम साड़ियां भारत के दक्षिणी राज्य तमिल नाडु के कांचीपुरम शहर में बनाई जाती हैं. कांजीवरम साड़ी की चौड़ाई अन्य सिल्क साड़ियों से ज़्यादा होती हैं. ट्रेडिशनल साड़ी
जहाँ एक आम साडी की चौड़ाई 45 इंचहोती हैं वही कांजीवरम साड़ी की चौड़ाई 48 इंच रखीजाती हैं. कांजीवरम साड़ियों में डिज़ाइन मोटिफ्स के लिएसूर्य, चन्द्रमा, मोर, हंस, रथ एवं मंदिर के चित्र भी प्रयोगकिये जातें हैं. यह साड़ियां अपनी उत्तम क्वालिटी, आकर्षक रंगों और एथनिक एलिगेंट लुक के कारण आज भी महिलाओं के बीच उतनी ही लोकप्रिय हैं जैसे की पहले हुआ करती थीं. ट्रेडिशनल साड़ी
![ट्रेडिशनल साड़ी](http://shezindagi.com/wp-content/uploads/2021/04/91II7KF6foL._AC_UL1500_.jpg)
(5) पटोला साड़ी (Patola saree) –
पटोला साड़ियाँ अपनी लागत के साथ-साथ अपने खूबसूरत धागे के काम के लिए भी जानी जाती हैं. यह साड़ियां विशेष रूप से पाटन, गुजरात में कुछ सीमित परिवारों द्वारा बनाई जाती हैं, यही कारण है कि ये बहुत महंगी भी हैं. इन साड़ियों के ज्यामितीय डिजाइन और समृद्ध, पारंपरिक रंग काफी लोकप्रिय हैं और ये साड़ियाँ किसी भी पार्टी में आपको आकर्षण का केंद्र बना सकती हैं. ट्रेडिशनल साड़ी
![ट्रेडिशनल साड़ी](http://shezindagi.com/wp-content/uploads/2021/04/714Aq0gsInL._AC_UL1500_-1.jpg)
(6) कांथा साड़ी (Kantha saree) –
कांथा साड़ियां अपने समृद्ध धागे की कढ़ाई के लिए जानी जाती हैं. कांथा भारत की सबसे पुरानी कढ़ाई है और इसका इतिहास पहले और दूसरे ईस्वी सन् का है. ट्रेडिशनल साड़ी
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(7) चंदेरी साड़ी (Chanderi saree) –
मध्य प्रदेश के चंदेरी नामक एक गाँव में स्थित, चंदेरी साड़ियाँ अपने हाथ से बुने हुए कपड़े के लिए जानी जाती हैं, जो ज़री के काम में खूबसूरती के साथ मिलती है. ये शुद्ध रेशम और शुद्ध कपास दोनों में उपलब्ध हैं और किसी भी तरह के अवसर के लिए पहनी जा सकती हैं. ट्रेडिशनल साड़ी
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तो ये थीं 7 ट्रेडिशनल इंडियन साड़ीयां जो आपकी वार्डरोब में जरूर होनी चाहिये ताकि फैशन के मामले में आप किसी से कम ना लगें. ट्रेडिशनल साड़ी
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