ऋषि पंचमी व्रत कैसे किया जाता है..? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
ऋषि पंचमी व्रत –
ऋषि पंचमी व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रखा जाता है और यह तिथि इस साल 11 सितम्बर को पड़ रही है. गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन ऋषि पंचमी मनाई जाती है. ऋषि पंचमी का शुभ दिन मुख्य रूप से सप्तऋषियों को समर्पित है. धार्मिक कथाओं के अनुसार ये सात ऋषि हैं – वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज. इस व्रत में मुख्य रूप से सप्तर्षियों सहित अरुंधती का भी पूजन किया जाता है, इसलिए इसे ऋषि पंचमी कहते हैं. इस दिन महिलाएं विधिपूर्वक व्रत करती हैं. आपको बता दें इस व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है.
मान्यता है कि व्रत के दौरान कथा सुनने से माहवारी के दौरान लगने वाले दोष का निवारण होता है. दूसरे शब्दों में अगर कहें तो स्त्रियों से रजस्वला अवस्था में घर के बर्तन आदि का स्पर्श हो जाने से लगने वाले पाप को दूर करने के लिए यह व्रत किया जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति इस दिन ऋषि-मुनियों का स्मरण कर उनका पूजन करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है. इस दिन चारों वर्ण की स्त्रियों को चाहिए कि वे यह व्रत करें.
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त (Rishi Panchami Puja Muhurta) –
ऋषि पंचमी – गुरुवार, 1 सितम्बर 2022
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त – 11:11 AM से 01:42 PM
अवधि – 02 घण्टे 31 मिनट्स
पंचमी तिथि प्रारम्भ – 31 अगस्त 2022 को 03:22 PM
पंचमी तिथि समाप्त – 01 सितम्बर 2022 को 02:49 PM
ये भी पढ़ें –
- गणेश चतुर्थी कब है..? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
- सीता नवमी व्रत कब है..? जानिए इस व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त
ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami Vrat Story) –
उत्तरा नाम का एक ब्राह्मण था जो सुशीला नाम की अपनी पत्नी के साथ रहता था. उनकी बेटी विधवा हो गयी थी इस कारण उनके साथ ही रहती थी. एक रात को बेटी के सम्पूर्ण शरीर को चींटियां लग गईं. माता-पिता दोनों चिंता मे डूब गए. उन्होंने एक ऋषि को इस बारे में बताया. तब ऋषि ने बताया कि उनकी बेटी ने पूर्व जन्म में रजस्वला काल मे पाप किया था.
जिसका दंड उसे अब उसके शरीर पर चीटियां लग कर मिल रहा है. ऋषि ने पापों की मुक्ति के लिए उस ब्राह्मण कन्या को ऋषि पंचमी का व्रत करने की सलाह दी. ब्राह्मण कन्या के व्रत करने से उसके सारे कष्ट दूर हो गए सभी पापों से मुक्ति मिल गयी और अगले जन्म में सौभाग्य की प्राप्ति हुई.
ऋषि पंचमी व्रत की पूजा विधि (Worship method of Rishi Panchami fast) –
- इस दिन व्रत करने वाली महिला किसी नदी या तालाब पर जाए. वहां अपामार्ग (आंधीझाड़ा) से दांत साफ करें और सूर्य निकलने से पहले शरीर पर मिट्टी लगाकर स्नान कर लें.
- सफेद या पीले वस्त्र पहने और अपने घऱ के मंदिर को गंगाजल से साफ करें.
- एक लकड़ी के पटरे पर सप्त ऋषियों की फोटो या विग्रह लगाए और उनके सामने जल भरकर कलश रखें.
- इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से सप्तर्षियों का पूजन करें.
- उसके बाद निम्न मंत्र से अर्घ्य दें –
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।
- पूरे विधि-विधान से पूजा करने के बाद ऋषि पंचमी व्रत कथा सुनें और आरती कर प्रसाद वितरित करें.
- पूजन के बाद कलश आदि पूजन सामग्री को ब्राह्मण को दान कर दें व ब्राह्मण को भोजन कराकर ही स्वयं भोजन करें और व्रत का उद्यापन करें.
- इस व्रत में नमक का प्रयोग करना वर्जित है. हल से जुते हुए खेत का अन्न खाना भी वर्जित है. दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए.
ये भी पढ़ें –
- ऑफिस वियर ड्रेस की तलाश में हैं तो आजमाइए ये 12 कम्फर्टेबल टॉप
- मास्क लगाने से होती है परेशानी तो अपनाइए ये टिप्स
खरीदारी के लिए ये भी देखिए –