जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पौराणिक कथा के बारे में
होलिका दहन (Holika dahan) –
होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. बसंत का महीना लगने के बाद से ही इसका इंतजार शुरू हो जाता है. हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है. फिर होलिका दहन के अगले दिन चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि को लोग रंग-गुलाल के साथ होली खेलते हैं.
हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है. होली से 8 दिन पहले होलाष्टक (Holashtak 2023) लग जाते हैं. जिस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है.
आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि –
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Shubh Muhurat 2023) –
होलिका दहन की पूजा अगर मुहूर्त में न की जाए तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है. होलिका दहन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में किया जाता है. इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी. तो वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा.
इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है. ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा.
होलिका दहन पूजा सामग्री (Holika Dahan Puja Material) –
एक लोटा जल, गाय के गोबर से बनी माला, अक्षत, गंध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल और गेंहू की बालियां.
ये भी पढ़ें –
- होली त्यौहार पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए..?
- घर पर ही बनाइए होली के ये 7 रंग (7 Colours)
होलिका दहन पूजा विधि (Holika dahan puja vidhi) –
- सभी पूजन सामग्री को एक थाली में रखें.
- पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें. उसके बाद पूजा थाली पर और खुद पर पानी छिड़कें. फिर ‘ऊं पुण्डरीकाक्षः पुनातु’ मंत्र का तीन बार जाप करें.
- अब दाएं हाथ में जल, चावल, फूल और एक सिक्का लेकर संकल्प लें.
- दाहिने हाथ में फूल और चावल लेकर भगवान गणेश जी का स्मरण करें.
- अब देवी अंबिका का स्मरण करें. ऊं अम्बिकायै नमः पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि मंत्र का जाप करें.
- मंत्र का जाप करते हुए पुष्प पर रोली और अक्षत लगाकर देवि अंबिका को अर्पित करें.
- अब भगवान नरसिंह का स्मरण करें. पुष्प पर रोली और चावल लगाकर भगवान को अर्पित करें.
- अब भक्त प्रह्लाद का स्मरण करें. फूल पर रोली और चावल लगाकर चढ़ाएं.
- होलिका के आगे खड़े हो जाएं. होलिका में अक्षत, धूप, पुष्प, मूंग दाल, हल्दी के टुकड़े, नारियल और गाय के गोबर से बनी माला अर्पित करें.
- अब होलिका की परिक्रमा करते हुए चारों ओर कच्चे सूत सात फेरे लेते हुए बांधे. अब होलिका के ढेर के सामने लोटे के जल को पूरा अर्पित करें.
होली से जुड़ी पौराणिक कथा (Holi signficance & Katha) –
होली से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. पुराणों में हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद की कथा सबसे खास है. इसके कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी. बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती.
भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई. अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ.
ये भी पढ़ें –
- ऑफिस वियर ड्रेस की तलाश में हैं तो आज़माइए ये 12 कम्फर्टेबल टॉप
- बॉलीवुड दीवाज़ की तरह इन गर्मियों में अपनी वॉर्डरोब को फ्लोरल प्रिंट्स से महकाइये
खरीदारी के लिए ये भी देखिए –
(1) Holika Dahan Pooja Kit –